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Best Patriotic Poems in Hindi – my 9 favourites

Patriotic poems in Hindi are my favourite kind of poems. I remember that when my elder sister and I were at school, we used to love reciting Hindi deshbhakti poems. I can’t say what it is about these verses that fills you up with fervour. Maybe it’s their rhythm, maybe their pride inspiring words. Or the beauty of the thoughts imbibed in them.

Poetry is not just beautiful words strung in a beautiful way. It has great power. When skillfully crafted, a poem has the potential to unite the people, or divide them. No wonder Indian patriotic poems and songs played such an important role in the Indian freedom movement. Not just Hindi patriotic poems, but patriotic verses and lyrics of other Indian languages must be awesome too.

However, as I cannot understand regional languages and do not know their poetry, I’m collecting here some of the best Hindi patriotic poems I’ve read. I hope you’d like them as much as I do. If you would like to share your favourite poem with me, please do so!

Note: The copyright of the poems given below belongs to their respective authors/publishers. I don’t lay any claim to them. I humbly thank the poets for these beautiful words.

If you like the poems, please share the post using the sharing buttons given at the end. Thanks.

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My top 9 favourite patriotic poems in Hindi

Pushp ki abhilasha hindi patriotic poem, deshbhakti ki kavita in Hindi

Pushp ki Abhilasha by Makhanlal Chaturvedi

पुष्प की अभिलाषा / माखनलाल चतुर्वेदी

One of the most famous deshbhakti kavita in Hindi

पुष्प की अभिलाषा
चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर
हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक!
मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
जिस पथ पर जावें वीर अनेक!

Sarfaroshi Ki Tamanna by Ram Prasad Bismil

सरफ़रोशी की तमन्ना / राम प्रसाद बिस्मिल

Deshbhakti kavita in Hindi

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है
 
करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
 
ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है
 
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है
 
खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है
 
यूँ खड़ा मक़तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है
 
वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून
तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है,
 
हाथ जिन में हो जुनूँ कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,
 
है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
 
हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,
जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम
जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है,
 
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको ना आज
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,
 
(नोट=इस रचना के कवि बिस्मिल अज़ीमाबादी हैं,
परन्तु मशहूर यह राम प्रसाद बिस्मिल के नाम से ही है।)

Mera Rang De Basanti Chola by Prem Dhawan

मेरा रंग दे बसंती चोला / प्रेम धवन

Lyrics of one of the most famous Indian patriotic song

ओ मेरा रंग दे बसंती चोला
मेरा रंग दे
ओ मेरा रंग दे बसंती चोला
ओये रंग दे बसंती चोला
माये रंग दे बसंती चोला
दम निकले इस देश की खातिर
बस इतना अरमान है
एक बार इस राह में मरना
सौ जन्मों के समान है
देख के वीरों की क़ुरबानी
अपना दिल भी बोला
मेरा रंग दे बसंती चोला
ओ मेरा रंग दे बसंती चोला
मेरा रंग दे
ओ मेरा रंग दे बसंती चोला
ओये रंग दे बसंती चोला
माये रंग दे बसंती चोला
 
जिस चोले को पहन शिवाजी
खेले अपनी जान पे
जिस चोले को पहन शिवाजी
खेले अपनी जान पे
जिसे पहन झाँसी की रानी
मिट गई अपनी आन पे
आज उसी को पहन के निकला
हम मस्तों का टोला
मेरा रंग दे बसंती चोला
ओ मेरा रंग दे बसंती चोला
मेरा रंग दे
ओ मेरा रंग दे बसंती चोला
ओये रंग दे बसंती चोला
माये रंग दे बसंती चोला
Veer tum bade chalo, patriotic poems in hindi, poem on desh prem in hindi

Veer Tum Badhe Chalo by Dwarika Prasad Maheshwari

वीर तुम बढ़े चलो! / द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

One of my favourite patriotic poem in Hindi about courage

वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
हाथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी रुके नहीं
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
 
सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
 
प्रात हो कि रात हो संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
 
एक ध्वज लिये हुए एक प्रण किये हुए
मातृ भूमि के लिये पितृ भूमि के लिये
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
 
अन्न भूमि में भरा वारि भूमि में भरा
यत्न कर निकाल लो रत्न भर निकाल लो
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

Aavaaz Do Hum Ek Hain by Jaan Nisar Akhtar

आवाज़ दो हम एक हैं / जाँनिसार अख्तर

One of the best poem on desh prem in Hindi

आवाज़ दो हम एक हैं
एक है अपना जहाँ, एक है अपना वतन
अपने सभी सुख एक हैं, अपने सभी ग़म एक हैं
आवाज़ दो हम एक हैं.
 
ये वक़्त खोने का नहीं, ये वक़्त सोने का नहीं
जागो वतन खतरे में है, सारा चमन खतरे में है
फूलों के चेहरे ज़र्द हैं, ज़ुल्फ़ें फ़ज़ा की गर्द हैं
उमड़ा हुआ तूफ़ान है, नरगे में हिन्दोस्तान है
दुश्मन से नफ़रत फ़र्ज़ है, घर की हिफ़ाज़त फ़र्ज़ है
बेदार हो, बेदार हो, आमादा-ए-पैकार हो
आवाज़ दो हम एक हैं.
 
ये है हिमालय की ज़मीं, ताजो-अजंता की ज़मीं
संगम हमारी आन है, चित्तौड़ अपनी शान है
गुलमर्ग का महका चमन, जमना का तट गोकुल का मन
गंगा के धारे अपने हैं, ये सब हमारे अपने हैं
कह दो कोई दुश्मन नज़र उट्ठे न भूले से इधर
कह दो कि हम बेदार हैं, कह दो कि हम तैयार हैं
आवाज़ दो हम एक हैं
 
उट्ठो जवानाने वतन, बांधे हुए सर से क़फ़न
उट्ठो दकन की ओर से, गंगो-जमन की ओर से
पंजाब के दिल से उठो, सतलज के साहिल से उठो
महाराष्ट्र की ख़ाक से, देहली की अर्ज़े-पाक
बंगाल से, गुजरात से, कश्मीर के बागात से
नेफ़ा से, राजस्थान से, कुल ख़ाके-हिन्दोस्तान से
आवाज़ दो हम एक हैं!
आवाज़ दो हम एक हैं!!
आवाज़ दो हम एक हैं!!!

Kiski Naman Karu Main by Ramdhari Singh Dinkar

किसको नमन करूँ मैं भारत? / रामधारी सिंह ‘दिनकर’

One of the best deshbhakti kavita in Hindi

किसको नमन करूँ मैं भारत?
तुझको या तेरे नदीश, गिरि, वन को नमन करूँ, मैं ?
मेरे प्यारे देश ! देह या मन को नमन करूँ मैं ?
किसको नमन करूँ मैं भारत ? किसको नमन करूँ मैं ?
 
भू के मानचित्र पर अंकित त्रिभुज, यही क्या तू है ?
नर के नभश्चरण की दृढ़ कल्पना नहीं क्या तू है ?
भेदों का ज्ञाता, निगूढ़ताओं का चिर ज्ञानी है
मेरे प्यारे देश ! नहीं तू पत्थर है, पानी है
जड़ताओं में छिपे किसी चेतन को नमन करूँ मैं ?
 
तू वह, नर ने जिसे बहुत ऊँचा चढ़कर पाया था;
तू वह, जो संदेश भूमि को अम्बर से आया था।
तू वह, जिसका ध्यान आज भी मन सुरभित करता है;
थकी हुई आत्मा में उड़ने की उमंग भरता है ।
गन्ध -निकेतन इस अदृश्य उपवन को नमन करूँ मैं?
किसको नमन करूँ मैं भारत ! किसको नमन करूँ मैं?
 
वहाँ नहीं तू जहाँ जनों से ही मनुजों को भय है;
सब को सब से त्रास सदा सब पर सब का संशय है ।
जहाँ स्नेह के सहज स्रोत से हटे हुए जनगण हैं,
झंडों या नारों के नीचे बँटे हुए जनगण हैं ।
कैसे इस कुत्सित, विभक्त जीवन को नमन करूँ मैं ?
किसको नमन करूँ मैं भारत ! किसको नमन करूँ मैं ?
 
तू तो है वह लोक जहाँ उन्मुक्त मनुज का मन है;
समरसता को लिये प्रवाहित शीत-स्निग्ध जीवन है।
जहाँ पहुँच मानते नहीं नर-नारी दिग्बन्धन को;
आत्म-रूप देखते प्रेम में भरकर निखिल भुवन को।
कहीं खोज इस रुचिर स्वप्न पावन को नमन करूँ मैं ?
किसको नमन करूँ मैं भारत ! किसको नमन करूँ मैं ?
 
भारत नहीं स्थान का वाचक, गुण विशेष नर का है
एक देश का नहीं, शील यह भूमंडल भर का है
जहाँ कहीं एकता अखंडित, जहाँ प्रेम का स्वर है
देश-देश में वहाँ खड़ा भारत जीवित भास्कर है
निखिल विश्व को जन्मभूमि-वंदन को नमन करूँ मैं !
 
खंडित है यह मही शैल से, सरिता से सागर से
पर, जब भी दो हाथ निकल मिलते आ द्वीपांतर से
तब खाई को पाट शून्य में महामोद मचता है
दो द्वीपों के बीच सेतु यह भारत ही रचता है
मंगलमय यह महासेतु-बंधन को नमन करूँ मैं !
 
दो हृदय के तार जहाँ भी जो जन जोड़ रहे हैं
मित्र-भाव की ओर विश्व की गति को मोड़ रहे हैं
घोल रहे हैं जो जीवन-सरिता में प्रेम-रसायन
खोर रहे हैं देश-देश के बीच मुँदे वातायन
आत्मबंधु कहकर ऐसे जन-जन को नमन करूँ मैं !
 
उठे जहाँ भी घोष शांति का, भारत, स्वर तेरा है
धर्म-दीप हो जिसके भी कर में वह नर तेरा है
तेरा है वह वीर, सत्य पर जो अड़ने आता है
किसी न्याय के लिए प्राण अर्पित करने जाता है
मानवता के इस ललाट-वंदन को नमन करूँ मैं
Hum panchhi unmukt gagan ke, best hindi poem on patriotism, hindi deshbhakti kavita

Hum Panchhi Unmukt Gagan Ke by Shivmangal Singh Suman

हम पंछी उन्‍मुक्‍त गगन के / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

Famous Hindi poem about Freedom

हम पंछी उन्‍मुक्‍त गगन के
पिंजरबद्ध न गा पाएँगे,
कनक-तीलियों से टकराकर
पुलकित पंख टूट जाऍंगे।
 
हम बहता जल पीनेवाले
मर जाएँगे भूखे-प्‍यासे,
कहीं भली है कटुक निबोरी
कनक-कटोरी की मैदा से,
 
स्‍वर्ण-श्रृंखला के बंधन में
अपनी गति, उड़ान सब भूले,
बस सपनों में देख रहे हैं
तरू की फुनगी पर के झूले।
 
ऐसे थे अरमान कि उड़ते
नील गगन की सीमा पाने,
लाल किरण-सी चोंचखोल
चुगते तारक-अनार के दाने।
 
होती सीमाहीन क्षितिज से
इन पंखों की होड़ा-होड़ी,
या तो क्षितिज मिलन बन जाता
या तनती साँसों की डोरी।
 
नीड़ न दो, चाहे टहनी का
आश्रय छिन्‍न-भिन्‍न कर डालो,
लेकिन पंख दिए हैं, तो
आकुल उड़ान में विघ्‍न न डालो।

Shheedon Mein Tu Naam Likha Le Re by Gopal Prasad Vyas

शहीदों में तू नाम लिखा ले रे / गोपाल प्रसाद व्यास

One of the best poems on patriotism in Hindi

वह देश, देश क्या है, जिसमें
लेते हों जन्म शहीद नहीं।
वह खाक जवानी है जिसमें
मर मिटने की उम्मीद नहीं।
वह मां बेकार सपूती है,
जिसने कायर सुत जाया है।
वह पूत, पूत क्या है जिसने
माता का दूध लजाया है।
सुख पाया तो इतरा जाना,
दुःख पाया तो कुम्हला जाना।
यह भी क्या कोई जीवन है:
पैदा होना, फिर मर जाना!
पैदा हो तो फिर ऐसा हो,
जैसे तांत्या बलवान हुआ।
मरना हो तो फिर ऐसे मर,
ज्यों भगतसिंह कुर्बान हुआ।
जीना हो तो वह ठान ठान,
जो कुंवरसिंह ने ठानी थी।
या जीवन पाकर अमर हुई
जैसे झांसी की रानी थी।
यदि कुछ भी तुझ में जीवन है,
तो बात याद कर राणा की।
दिल्ली के शाह बहादुर की
औ कानपूर के नाना की।
तू बात याद कर मेरठ की,
मत भूल अवध की घातों को।
कर सत्तावन के दिवस याद,
मत भूल गदर की बातों को।
आज़ादी के परवानों ने जब
खूं से होली खेली थी।
माता के मुक्त कराने को
सीने पर गोली झेली थी।
तोपों पर पीठ बंधाई थी,
पेड़ों पर फांसी खाई थी।
पर उन दीवानों के मुख पर
रत्ती-भर शिकन न आई थी।
वे भी घर के उजियारे थे
अपनी माता के बारे थे।
बहनों के बंधु दुलारे थे,
अपनी पत्नी के प्यारे थे।
पर आदर्शों की खातिर जो
भर अपने जी में जोम गए।
भारतमाता की मुक्ति हेतु,
अपने शरीर को होम गए।
कर याद कि तू भी उनका ही
वंशज है, भारतवासी है।
यह जननी, जन्म-भूमि अब भी,
कुछ बलिदानों की प्यासी है।
अंग्रेज गए जैसे-तैसे,
लेकिन अंग्रेजी बाकी है।
उनके बुत छाती पर बैठे,
ज़हनियत अभी वह बाकी है।
कर याद कि जो भी शोषक है
उसको ही तुझे मिटाना है।
ले समझ कि जो अन्यायी है
आसन से उसे हटाना है।
ऐसा करने में भले प्राण
जाते हों तेरे, जाने दे।
अपने अंगों की रक्त-माल
मानवता पर चढ़ जाने दे।
तू जिन्दा हो और जन्म-भूमि
बन्दी हो तो धिक्कार तुझे।
भोजन जलते अंगार तुझे,
पानी है विष की धार तुझे।
जीवन-यौवन की गंगा में
तू भी कुछ पुण्य कमा ले रे!
मिल जाए अगर सौभाग्य
शहीदों में तू नाम लिखा ले रे!

Tera Hai by Ashok Chakradhar

तेरा है / अशोक चक्रधर

A beautiful contemporary poem on desh prem in Hindi

तू गर दरिन्दा है तो ये मसान तेरा है,
अगर परिन्दा है तो आसमान तेरा है।
 
तबाहियां तो किसी और की तलाश में थीं
कहां पता था उन्हें ये मकान तेरा है।
 
छलकने मत दे अभी अपने सब्र का प्याला,
ये सब्र ही तो असल इम्तेहान तेरा है।
 
भुला दे अब तो भुला दे कि भूल किसकी थी
न भूल प्यारे कि हिन्दोस्तान तेरा है।
 
न बोलना है तो मत बोल ये तेरी मरज़ी
है, चुप्पियों में मुकम्मिल बयान तेरा है।
 
तू अपने देश के दर्पण में ख़ुद को देख ज़रा
सरापा जिस्म ही देदीप्यमान तेरा है।
 
हर एक चीज़ यहां की, तेरी है, तेरी है,
तेरी है क्योंकि सभी पर निशान तेरा है।
 
हो चाहे कोई भी तू, हो खड़ा सलीक़े से
ये फ़िल्मी गीत नहीं, राष्ट्रगान तेरा है।

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10 Comments

  1. Here is a poem by Subramanya Bharathi on Tamil Nadu. Bharathi was a freedom fighter who died around the 1920s. Most of his poems are on Tamil Nadu. Here is one of them. He wrote several poems on the idea of a united India also but I am unable to locate them on the net.

    செந்தமிழ் நாடெனும் போதினிலே – இன்பத்
    தேன் வந்து பாயுது காதினிலே – எங்கள்
    தந்தையர் நாடென்ற பேச்சினிலே – ஒரு
    சக்தி பிறக்குது மூச்சினிலே (செந்தமிழ்)

    வேதம் நிறைந்த தமிழ்நாடு – உயர்
    வீரம் செறிந்த தமிழ்நாடு – நல்ல
    காதல் புரியும் அரம்பையர் போல் – இளங்
    கன்னியர் சூழ்ந்த தமிழ்நாடு (செந்தமிழ்)

    காவிரி தென்பெண்ணை பாலாறு – தமிழ்
    கண்டதோர் வையை பொருனை நதி – என
    மேவிய யாறு பலவோடத் – திரு
    மேனி செழித்த தமிழ்நாடு (செந்தமிழ்)

    முத்தமிழ் மாமுனி நீள்வரையே – நின்று
    மொய்ம்புறக் காக்குந் தமிழ்நாடு – செல்வம்
    எத்தனையுண்டு புவிமீதே – அவை
    யாவும் படைத்த தமிழ்நாடு (செந்தமிழ்)

    நீலத் திரைக்கட லோரத்திலே – நின்று
    நித்தம் தவஞ்செய் குமரிஎல்லை -வட
    மாலவன் குன்றம் இவற்றிடையே – புகழ்
    மண்டிக் கிடக்குந் தமிழ்நாடு (செந்தமிழ்)

    கல்வி சிறந்த தமிழ்நாடு – புகழ்க்
    கம்பன் பிறந்த தமிழ்நாடு – நல்ல
    பல்விதமாயின சாத்திரத்தின் – மணம்
    பாரெங்கும் வீசுந் தமிழ்நாடு (செந்தமிழ்)

    வள்ளுவன் தன்னை உலகினுக்கே – தந்து
    வான்புகழ் கொண்ட தமிழ்நாடு – நெஞ்சை
    அள்ளும் சிலப்பதி காரமென்றோர் – மணி
    யாரம் படைத்த தமிழ்நாடு (செந்தமிழ்)

    சிங்களம் புட்பகம் சாவக – மாதிய
    தீவு பலவினுஞ் சென்றேறி – அங்கு
    தங்கள் புலிக்கொடி மீன்கொடியும் – நின்று
    சால்புறக் கண்டவர் தாய்நாடு (செந்தமிழ்)

    விண்ணை யிடிக்கும் தலையிமயம் – எனும்
    வெற்பை யடிக்கும் திறனுடையார் – சமர்
    பண்ணிக் கலிங்கத் திருள்கெடுத்தார் – தமிழ்ப்
    பார்த்திவர் நின்ற தமிழ்நாடு (செந்தமிழ்)

    சீன மிசிரம் யவனரகம் – இன்னும்
    தேசம் பலவும் புகழ்வீசிக் – கலை
    ஞானம் படைத் தொழில் வாணிபமும் – மிக
    நன்று வளர்த்த தமிழ்நாடு (செந்தமிழ்)

  2. A very beautiful collection of ‘clarion calls to awaken the souls’, a set of evergreen and ever relevant poems which will always be National Songs, as by merely listening to them the Adrenaline just starts rushing through the veins and one gets goosebumps. I would like to add one more in this list of illustrious poems/songs : ‘Aye Mere Watan Ke Logo‘ Lyrics by Kavi Pradeep!

    1. Hello,
      Thanks for your message! I’m glad you liked the collection of poems I posted.
      Thanks also for the recommendation. I’m a big fan of Kavi Pradeep too. Hw wrote amazing lyrics.